याद आती ही तेरी ए मेरी दोस्त ,तुने किए थे कई वादे
तुम्हारी ही निशानियाँ दिखती है हर जगह
जितना भूलना चाहती हूँ , उतनी ही याद आती हो तुम
इस जिंदगी के कई मंजिले तुम्हारे बिना ही तय किए है
तुम्हारे बिना ही तय किए गए मंजिले अधूरे लगते है
तुम होती तो शायद जिंदगी और आसान होजाती
जब हम एकदूसरे के करीब थे मैंने कभी नही जाना,
तुम क्या थी मेरे लिए ,जब जाना तब तुम दूर जा चुकी थी
मुझे आज याद आरही है ,तुम्हारी वो नजर
जिसमे कई भाव छिपे थे ,जिनकी भाषा आज मैंने समझा
क्यूंकि आज मेरी नजर तुम्हे ढूँढ रही है
मुझे इस जिंदगी ने बहुत कुछ दिया है
तुम जो एक बार मिल जाते ,यही दुवा है
जहा हम ने गुजारे दोस्ती के वे पल ,
आज भी मैं वहा तुमको महसूस करती हूँ
तुम भी मुझे याद करती होगी
ये जिंदगी न जाने कब रूठ जाए ,
ये धड़कन ना जाने कब रुक जाए ,
आजाओ मेरे दोस्त एक बारे गले मिलकर आंसू बहा लें
Wednesday, September 16, 2009
Tuesday, September 15, 2009
मंगा की भी बहुत याद आती है ,वोःआशालता के एकदम विरुद्ध थी उसके आते ही हम अपने अपने कमरों की तरफ़ भाग जाते थे ,जैसे की "मैं हूँ ना "पिक्चर में बिन्दु को देख कर सब भाग जाते है ठीक वैसे ही सीन हो जाता था हम माँ से उसे निकाल देने को कहते थे माँ ने मानो उसे गायिका बनाने की प्रतिज्ञा ली थी माँ ने उसे सुबह पाँच बुला कर उससे रियाज कराने की कोशिश की पर सफल नही हुई क्यूंकि मंगा का स्कूल टाइम सुबह का था केवल इतवार के दिन उसे बुलाया जाता था हारमोनियम पर माँ सरगम सिखाती थी ,मंगा माँ के पीछे पीछे बेसुरी सरगम की ताने लेती थी जिसका शब्दों में वर्णन करना बहुत मुश्किल है पर तीन साल बाद उसकी शादी ही गई और हमने राहत की साँस ली
उन दिनों दशहरा से दीपावली तक एक महीना विद्यालय बंद रहते थे सड़क में एक अलग माहोल छा जाता था बच्चे तो बच्चे मताए भी हंगामा करती थी कबड्डी ,खो-खो,रस्सी कूद ,रिंग,केरम,अन्त्याक्षरी ,खेलते थेनाचते थेमाताए तरह-तरह की पकवाने बनकर मिलकर एक बैठकर खाते थे उन्दिनो की याद कभी नही जायेगी
उन दिनों दशहरा से दीपावली तक एक महीना विद्यालय बंद रहते थे सड़क में एक अलग माहोल छा जाता था बच्चे तो बच्चे मताए भी हंगामा करती थी कबड्डी ,खो-खो,रस्सी कूद ,रिंग,केरम,अन्त्याक्षरी ,खेलते थेनाचते थेमाताए तरह-तरह की पकवाने बनकर मिलकर एक बैठकर खाते थे उन्दिनो की याद कभी नही जायेगी
Monday, September 14, 2009
बात उन दिनों की थी जब सबकुछ सही चल रहा थामाँ वायोलिन सिखाती थी उन्होंने हमेबहुत कम उम्र में ही संगीत सिखाया था हम इतने माहिर हो गए किउनके अनुपस्थिति में हम बच्चों को संगीत सिखाते थे ,
मुझे माँ की उस ग्रूप में एक लड़की बहुत पसंद थी उसका नाम आशालता था वो मलयाली थी उनके पिताजी उसे लताजी और आशाजी jजितनीबड़ी गायिका बनाना चाहते थे जब भी मैं जी टीवी का सा रे गा मा पा प्रोग्राम्देखती हूँ तो आशालता की याद आती है काश उस समय भी ऐसे प्रोग्राम्स होते ,हमारी माँ के संगीत के क्लास में कई विद्यार्थी उसमे भाग लेते और मेरा दावा है की प्रतियोगिता जीतते भी
इस ब्लॉग में बहुत कुछ लिखना बाकी है पर अभी के लिए इतनाही \
मुझे माँ की उस ग्रूप में एक लड़की बहुत पसंद थी उसका नाम आशालता था वो मलयाली थी उनके पिताजी उसे लताजी और आशाजी jजितनीबड़ी गायिका बनाना चाहते थे जब भी मैं जी टीवी का सा रे गा मा पा प्रोग्राम्देखती हूँ तो आशालता की याद आती है काश उस समय भी ऐसे प्रोग्राम्स होते ,हमारी माँ के संगीत के क्लास में कई विद्यार्थी उसमे भाग लेते और मेरा दावा है की प्रतियोगिता जीतते भी
इस ब्लॉग में बहुत कुछ लिखना बाकी है पर अभी के लिए इतनाही \
Friday, August 28, 2009
श्रधांजलि
हम नए घर आगये तीन मंजिलो का एक ब्लाक था हर मंजिल में चार घर थे हमारे पड़ोसी एक बंगाली परिवार था ,मैं बी.ए.मेरी बाद वाली बहन बी.यस.सी.,उसकी बाद वाली बहन ८ वीउसके बाद वाला भाई ५वी पड़ रहे थे ननिहाल से नानी आकर हमारे बुरे दिनों में हमारा साथ दिया चारो ओर भविष्य अगम्य था गरीबी ,और कमियों का कोई अंत नही था सुब हमें दया भरी नजरों से देखते थे ,हमारे लिए चिंतित रहते थे
हम चारो बच्चे एक दुसरे की हिम्मत बनकर उन दिनों का डटकरसामना किया छेह महीनो के बाद मेरी शादी हो गई साल भर में मैं एक प्यारी सी बच्ची की माँ बन गई एक साल के बाद मेरी दूसरी बहन की शादी हो गई उसके दो लड़के हुए उसके चार साल बाद तीसरी बहन की भी शादी होगई जिसके एक लड़की और एक लड़का हुवे उसके आठ साल बाद मेरे एकलौते भाई की शादी हुई वोह इंजिनीअर बन गया ,उसकी दो प्यारी सी बेटियाँ है हम सुब बहुत खुश है पर यह सब देखने के लिए माँ नही हैचार साल पहले उनका अचानक देहांत हो गया आज हम जो भी है ,उनकी ही कृपा और असीम कृषि है वोह जहा भी है हमें आशीर्वाद दे रही है यह लेख उनकोमेरी श्रधांजलि hai
हम चारो बच्चे एक दुसरे की हिम्मत बनकर उन दिनों का डटकरसामना किया छेह महीनो के बाद मेरी शादी हो गई साल भर में मैं एक प्यारी सी बच्ची की माँ बन गई एक साल के बाद मेरी दूसरी बहन की शादी हो गई उसके दो लड़के हुए उसके चार साल बाद तीसरी बहन की भी शादी होगई जिसके एक लड़की और एक लड़का हुवे उसके आठ साल बाद मेरे एकलौते भाई की शादी हुई वोह इंजिनीअर बन गया ,उसकी दो प्यारी सी बेटियाँ है हम सुब बहुत खुश है पर यह सब देखने के लिए माँ नही हैचार साल पहले उनका अचानक देहांत हो गया आज हम जो भी है ,उनकी ही कृपा और असीम कृषि है वोह जहा भी है हमें आशीर्वाद दे रही है यह लेख उनकोमेरी श्रधांजलि hai
Tuesday, August 25, 2009
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